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अस्पतालों में मिडियाकर्मियों का निषेध सरासर काला क़ानून : टिया चौहान
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सत्ता मिलने पर ऐसी उत्पात मचाओ कि उद्दण्डता खुदे लजा के मर जाए….
- छत्तीसगढ़ में हाल ही में चिकित्सा शिक्षा विभाग ने सरकारी अस्पतालों, विशेषकर मेडिकल कॉलेजों और उनसे संबद्ध
:- अस्पतालों में मीडिया कर्मियों के प्रवेश और कवरेज के लिए एक नया प्रोटोकॉल (प्रोटोकॉल) जारी किया है। इस प्रोटोकॉल के तहत मीडिया कर्मियों को अस्पतालों के संवेदनशील क्षेत्रों (sensitive areas) जैसे वार्डों में बेरोकटोक जाने की अनुमति नहीं होगी।
इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
:- मरीजों की गोपनीयता (Patient Privacy): अस्पतालों का तर्क है कि मरीजों की निजता बनाए रखना महत्वपूर्ण है। संवेदनशील क्षेत्रों में मीडिया की unrestricted पहुंच से मरीजों की पहचान और उनकी बीमारी से संबंधित जानकारी सार्वजनिक हो सकती है, जो उनकी गोपनीयता का उल्लंघन है।
:- अस्पताल के कामकाज में व्यवधान (Disruption to Hospital Operations): मीडिया कर्मियों की लगातार मौजूदगी और कवरेज से अस्पताल के सामान्य कामकाज में बाधा आ सकती है, जिससे मरीजों की देखभाल प्रभावित हो सकती है।
:-तथ्यहीन खबरों पर रोक (Curbing Misinformation): विभाग का मानना है कि इस प्रोटोकॉल से गलत या तथ्यहीन खबरों के प्रकाशन पर रोक लगेगी। अब अस्पताल से संबंधित जानकारी देने के लिए जनसंपर्क अधिकारी (Public Relations Officer – PRO) की जिम्मेदारी तय की गई है। मीडिया को केवल पीआरओ के माध्यम से ही जानकारी मिलेगी।
इस नए प्रोटोकॉल का मीडिया जगत में काफी विरोध हो रहा है। पत्रकार इसे मीडिया की सेंसरशिप (censorship of media) और काला कानून (black law) बता रहे हैं, क्योंकि उनका मानना है कि यह उन्हें अपने दायित्वों का निर्वहन करने से रोक रहा है और सरकारी अस्पतालों में पारदर्शिता कम करेगा। वहीं, पूर्व उपमुख्यमंत्री सहित कई राजनेताओं ने भी इस प्रोटोकॉल का कड़ा विरोध किया है, इसे प्रजातांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया है।

Author: News-24 Express
Ankush kumar Bareth Mangla Chowk in Bilaspur, Chhattisgarh 495001