- भोजपुरी गीत-संगीतकार भागे आ रहे हैं…
- टेक्नोलॉजी आसान होने के साथ-साथ संगीत और वीडियो ने एक छलांग लगाई है। एक वक्त कैसेट पर आने वाला संगीत अब एक मोबाइल फोन पर हजारों कैसेट जितना रहता है, और यू-ट्यूब जैसी मुफ्त की वेबसाइटों की वजह से अनगिनत संगीत हर किसी की उंगलियों पर रहता है। नतीजा यह हुआ है कि हर किस्म का गीत-संगीत बनाने वाले लोगों को एक अभूतपूर्व मौका मिला है कि वे अपने अपलोड किए हुए गीत-संगीत से यू-ट्यूब से लाखों रुपए महीने कमा भी सकते हैं। संगीत और वीडियो के लोग अब किसी संगीत कंपनी के मोहताज नहीं रह गए। आज लोग अपने घरों में बैठे हुए वीडियो बना रहे हैं, या बहुत ही मामूली खर्च पर कुछ कलाकारों को लेकर नाच-गाने की रिकॉर्डिंग कर रहे हैं।
- बिहार का भोजपुरी फिल्म-संगीत उद्योग अपनी अश्लील और उत्तेजक सामग्री के लिए हमेशा से ही चर्चा में रहा है, और उसे एक किस्म से आज के भारत का सबसे अधिक चर्चित वयस्क फिल्म-संगीत कहा जा सकता है।अश्लीलता के नए पैमाने गढ़ने और तोड़ने का मुकाबला भोजपुरी में चलते ही रहता है। उसके खिलाफ लोग देश की बड़ी अदालतों में भी गए हुए हैं, लेकिन अब वह संक्रमण फैलते हुए छत्तीसगढ़ भी आ पहुंचा है।
- दो दिन पहले छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना और कलाकार एकट्ठा होकर राजधानी रायपुर के थाने में पहुंचे, और उन्होंने करीब दो दर्जन छत्तीसगढ़ी संगीत-कलाकारों के खिलाफ अश्लीलता की शिकायत की है। इस शिकायत से परे भी पिछले कई दिनों से जो गाने छत्तीसगढ़ी में सुनाई पड़ रहे थे, उन्होंने छत्तीसगढ़ और भोजपुर का सोलह घंटे सफर का फासला खत्म कर दिया दिखता है। बल्कि ऐसा भी लगता है कि भोजपुरी संगीत उद्योग का एक प्रतिनिधिमंडल गंडा बंधवाने के लिए छत्तीसगढ़ रवाना हो चुका होगा कि इस ताजा छत्तीसगढ़ी प्रेरणा से भोजपुरी अश्लीलता को गटर की नई गहराइयों में ले जाया जा सके। लोकभाषा, लोकबोली, और लोकसंगीत के नाम पर परले दर्जे की फूहड़ अश्लीलता को परोसने का यह सिलसिला एक सांस्कृतिक प्रदूषण की तरह राज्यों की सरहदों के आर-पार फैल रहा है, और फोक के नाम पर, लोकसंगीत या लोकसंस्कृति के नाम पर इसे कई किस्म का संरक्षण भी मिल रहा है।
- भारत के सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में, यह समझना भी जरूरी है कि लोक संस्कृति में वयस्क गीतों की एक जगह हमेशा से रही है, लेकिन अब उसे अश्लील फूहड़ता की ऐसी ऊंचाइयों पर ले जाया जा रहा है कि इस पतंगबाजी के मुकाबले में लोग दूसरे अश्लील वीडियो से और अधिक अश्लील बनाने के एक गलाकाट मुकाबले में उलझ गए हैं। यू-ट्यूब और सोशल मीडिया जैसी टैक्नोलॉजी की मेहरबानी से अब पल-पल में लोग यह देख सकते हैं कि उनके किस गाने या वीडियो को कितने लोगों ने कितने मिनट तक कितनी बार देखा सुना है, और आंकड़ों की इस दौड़ ने आज के सबसे बड़े पेशे, कंटेट क्रिएशन, को मानो केरल की नौका दौड़ में उतार दिया है, जहां चप्पू को थमने का हक नहीं रह जाता है।
- इस ताजा-ताजा छत्तीसगढ़ी अश्लीलता की तस्वीरें, और उनके गानों के शब्द मेरे सामने हैं, लेकिन इनका जिक्र करना कम से कम मेरे लिए मुमकिन नहीं है, क्योंकि मैं अपने आपको अश्लीलता पर आधारित लोकप्रियता से परे रखना चाहती हूं। लोग खुद देख सकते हैं कि कैसे-कैसे गंदे शब्द छत्तीसगढ़ी गानों में इस्तेमाल हो रहे हैं, और इसका क्या असर लोगों पर हो रहा होगा। यह राज्य, छत्तीसगढ़ वैसे भी बलात्कार के मामले में हमेशा ही चर्चा में रहता है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के 2022 के आंकड़े बताते हैं कि बलात्कार के मामले में प्रति लाख आबादी पर छत्तीसगढ़ देश में तीसरे नंबर पर है। अरुणाचल और असम के तुरंत बाद छत्तीसगढ़ में, प्रति लाख आबादी पर 7.4 बलात्कार दर्ज हुए हैं। अब जिस किस्म के अश्लील-सेक्स इशारों के गाने यहां बन रहे हैं, उससे यह हालत बिगड़ ही सकती है। लोगों के दिल-दिमाग में यह आ सकता है कि गानों में जैसी हरकतें सुझाई गई हैं, वैसी हरकतें सामान्य होती हैं।
- भारतीय लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, एक बड़ा मुद्दा हमेशा से है, लेकिन सवाल यह उठता है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को क्या अश्लीलता की स्वतंत्रता भी करार दिया जा सकता है? जब देश में बालिग और नाबालिग तबकों के बीच किसी भी तरह की इंटरनेट-सामग्री में पहुंच का कोई फर्क नहीं रह गया, तब हर राज्य को अपने स्तर पर यह सोचना चाहिए कि वह अपनी नई पीढ़ी को ऐसे अश्लील गीत-संगीत से कैसे बचाए? अदालत में अश्लीलता की वकालत करते हुए बड़े-बड़े वकील इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जोड़ देंगे, लेकिन मैं फिर भी उम्मीद करती हूं कि जजों में कम से कम कुछ तो ऐसे होंगे, जो कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को अश्लीलता की स्वतंत्रता से अलग करके देखेंगे। कहावतों में कहा जाता है कि हंस चुग-चुग कर मोती खाता है। आज का वक्त अदालत, सरकार, और समाज के लिए कुछ ऐसा ही है कि भारतीय लोकतंत्र के स्तंभो को, अभिव्यक्ति और अश्लीलता में फर्क करना होगा, वरना बढ़ते हुए यौन अपराधों को रोकना मुश्किल होगा।
- इसके साथ-साथ जुर्म के आंकड़ों में न गिनाने वाली एक बात भी है कि हम अपनी नई पीढ़ी को किस तरह का टेस्ट मुहैया करा रहे हैं?
- क्या सोचते हैं आप?
