अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
रायपुर – यह दिन सभी स्नातक विद्यार्थियों के लिये वर्षों की कड़ी मेहनत , समर्पण और दृढ़ता का प्रतीक है। यह ना केवल आपके लिये बल्कि आपके परिवारों , शिक्षकों और मार्गदर्शकों के लिये भी गर्व का क्षण है। छत्तीसगढ़ लंबे समय से ज्ञान , परंपरा और उत्कृष्टता की भूमि रही है। वे स्वयं यह जानकर चकित हैं कि छत्तीसगढ़ का इतिहास रामायण काल से भी पुराना है। इस राज्य ने विज्ञान , साहित्य , संगीत , लोक कला , सिनेमा , खेल और राजनीति में बहुत योगदान दिया है। इसकी एक मजबूत शैक्षणिक संस्कृति , शिक्षा और अनुसंधान के प्रति गहरी प्रतिबद्धता है।उक्त बातें महामहिम राज्यपाल रमेन डेका ने आज एमिटी विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुये कही। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि आज की दुनियाँ की प्रगति में ज्ञान और कौशल की प्रमुख भूमिका है। उच्च शिक्षा संस्थानों को विचारकों , नेताओं और नवप्रवर्तकों की अगली पीढ़ी को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिये। महामहिम ने कहा कि भारत हमेशा से बौद्धिक और वैज्ञानिक उपलब्धियों का देश रहा है। नालंदा और तक्षशिला के प्राचीन विश्वविद्यालयों से लेकर आधुनिक शोध संस्थानों तक , हमारा देश हमेशा ज्ञान सृजन में सबसे आगे रहा है। हमारे महान भारतीय विद्वानों ने गणित , विज्ञान, चिकित्सा और दर्शन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जीवन एक यात्रा है , जैसे – जैसे आप अपने जीवन में आगे बढ़ते हैं वैसी अच्छा करने की कोशिश करें और आजीवन सीखने , नैतिक नेतृत्व और समाज की सेवा के लिये प्रतिबद्ध हों। शिक्षा केवल व्यक्तिगत सफलता के लिये नहीं है , यह राष्ट्र और दुनियां के प्रति एक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि भारत विकास और परिवर्तन के एक नये युग की दहलीज पर खड़ा है। प्रौद्योगिकी , उद्योग , कृषि , स्वास्थ्य सेवा और डिजिटल बुनियादी ढांचे में प्रगति के साथ हमारा देश एक वैश्विक नेता बनने के लिये तैयार है और फाईव ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनने के लिये अग्रसर है। राज्यपाल डेका ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे नवाचार के बारे में सोचें और उसे अपनायें। भविष्य उन लोगों का है है जो हिम्मत करते हैं , आप सपने देखें और उन सपनों को हासिल करने के लिये अथक परिश्रम करें। भारत को उद्यमियों , शोधकर्ताओं और दूरदर्शी लोगों की जरूरत है जो नये विचारों और समाधानों के साथ देश को आगे बढ़ा सकें। उन्होंने कहा कि शिक्षा को व्यवसाय नही बनाना चाहिये बल्कि यह जीवन की उन्नति का मार्ग है। वे स्वयं शासकीय एवं निजी विश्वविद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर करने के लिये प्रयास करते रहेंगें। बताते चलें कि रायपुर के पं. दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित दीक्षांत समारोह में महामहिम राज्यपाल डेका ने विश्वविद्यालय के मेधावी विद्यार्थियों को विभिन्न पुरूस्कार एवं अठारह मेधावी विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक , पंद्रह को रजत पदक और छह को कांस्य पदक प्रदान किये। समारोह में वर्ष 2024 बैच के 660 विद्याार्थियों को स्नातक एवं स्नातकोत्तर की उपाधियां वितरित की र्गइं। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के वैज्ञानिक डॉ. वी.के दास और उद्योगपति एस.एन स्वामी को डॉक्टरेट की मानद उपाधि सहित सोलह विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों में पी०एच०डी० की उपाधी प्रदान की गई। इस अवसर पर महामहिम राज्यपाल डेका ने एक पेड़ मां के नाम पर पौधा लगाया। इस समारोह में विश्वविद्यालय के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. अशोक चौहान , अध्यक्ष डॉ. असीम चौहान , कुलाधिपति डब्लू सेल्वमूर्ति , कुलपति डॉ. पियूष कांत पाण्डे , रजिस्ट्रार , फैकल्टी मेंम्बर्स , डीन , प्राध्यापक , छात्र – छात्रायें एवं उनके परिजन भी उपस्थित थे।
