छत्तीसगढ़ के भिलाई में छह बरस की एक बच्ची दुर्गा नवमी के दिन और बहुत सी बच्चियों की तरह कन्या भोज के लिए घर से निकली। इस दिन बहुत से हिंदू परिवारों में पूजा के बाद आसपास की कन्याओं को खाना खिलाया जाता है और कोई छोटा-मोटा उपहार भी दिया जाता है। शाम तक यह बच्ची नहीं लौटी, और तलाश करते हुए परिवार को घर के पास ही एक कार की डिक्की में उसकी लाश मिली। इसके पहले खूब तलाश हो चुकी थी, पुलिस में रिपोर्ट लिखाई जा चुकी थी। जिस नौजवान की कार में यह लाश मिली है, उसकी हरकतें कुछ संदिग्ध दिख रही थीं, और बच्ची की बलात्कार के बाद किए गए क़त्ल की जानकारी पुलिस से मिली है। परिजनों का आरोप है कि बच्ची के शरीर को सिगरेट से दागा गया, उसके सीने पर खरोंच के निशान हैं, दरिंदों ने बच्ची के साथ दरिंदगी की हद पार की है।
इन दिनों पूरे देश में जगह-जगह बच्चियों और महिलाओं से जिस तरह बलात्कार चल रहे हैं, और बलात्कार के बाद हत्या एक आम बात हो गई है, क्योंकि बलात्कारियों को यह लगता है कि कोई गवाह न छूट जाए, और ऐसी गवाही से मौत की सजा न मिल जाए। इसलिए जब से बलात्कार के साथ मौत की सजा जोड़ी गई है, बलात्कार के बाद हत्या की घटनाएं शायद बढ़ रही हैं।
अब एक समय मोहल्ले में बच्चे सुरक्षित रहते थे, और गांवों में तो बच्चे दूर-दूर तक कहीं अमराई में चले जाते थे, तो कहीं तालाब में नहाने उतर जाते थे। दिन-दिन भर बच्चे घर के बाहर खेलते थे, और अड़ोस-पड़ोस को भी लोग अपना घर-परिवार मानकर बच्चों को सुरक्षित समझते थे। लगातार माहौल जितना खराब होते जा रहा है, और बच्चे लगातार खतरे में बने हुए हैं। वे न स्कूल में सुरक्षित हैं, न पड़ोस में, और न ही कन्या भोज के दिन, जिस दिन लोग कन्याओं की पूजा करते हैं।
यह देश का क्या हाल हो गया है, भारतीय समाज कहां जा पहुंचा है कि कन्या पूजा के दिन कन्या की इस तरह बलात्कार करके हत्या की जा रही है! क्या इस देश के लोगों को सचमुच ही देवी और कन्या की पूजा का कोई हक होना चाहिए? महिलाएं जगह-जगह प्रताड़ित हो रही हैं, स्कूली छात्राओं से लेकर सरकारी दफ्तरों तक में उनका तरह-तरह से शोषण हो रहा है। जब नवरात्रि में देश के बहुत बड़े हिस्से में देवी पूजा के रीति-रिवाज घरों से लेकर मंदिरों तक, और सड़कों से लेकर तालाब तक हावी रहते हैं, तब भी तो इन नौ दिनों में महिलाओं के खिलाफ होने वाले जुर्म में कोई कमी नहीं दिख रही, और न ही सड़कों पर लोगों की गालियों में मां-बहन को नौ दिन के लिए कोई रियायत मिली।
जब देश मर्यादा पुरषोत्तम राम के जन्म का उत्सव मना रहा था उस दिन अपने को रामभक्त कहने वाले समुदाय के नौजवानों ने यह जो किया है उससे लगता है कि इन पर राम का कोई असर नहीं पड़ा।
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