अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
गया – ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्द्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर एवं हिन्दू राष्ट्र प्रणेता अनन्तश्री विभूषित श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वतीजी महाराज परम्परागत रुप से होली के पावन अवसर पर अपना श्री धाम वृंदावन प्रवास पूर्ण कर सियालदेह एक्सप्रेस से अगले चरण के लिये गया पहुंचे। शशांक अवस्थी के यहां अवस्थी मंदिर , डेल्हा , बैंक आफ बड़ोदा के समीप स्थित निवास स्थल में ही 32 लोगों ने महाराजश्री से दीक्षा ग्रहण किया। वहीं आयोजित हिन्दू राष्ट्र संगोष्ठी में भक्तजनों ने धर्म , अध्यात्म तथा राष्ट्र से संबंधित जिज्ञासाओं का शंकराचार्यजी के श्रीमुख से आध्यात्मिक तथा व्यावहारिक समाधान प्राप्त किया। यहां धर्म , अध्यात्म और राष्ट्र तथा सम सामयिक विषयों पर जिज्ञासा समाधानों के अवसर पर पुरी शंकराचार्यजी ने उदघृत किया कि गौ हत्या के लिये गोवंश आधारित कृषि को अपनाना आवश्यक है , जिसमें गोबर से प्राकृतिक खाद निर्माण तथा गोमूत्र आधारित कीटनाशक और गोवंश आधारित कृषि यन्त्रों का अधिकाधिक उपयोग सम्मिलित होना चाहिये। प्रत्येक गांव में चारागाह के भूमि को संरक्षित रखना भी अनिवार्य होना चाहिये। पुरी शंकराचार्य ने कहा कि सुसंस्कृत , सुशिक्षित , सुरक्षित , सम्पन्न , सेवापरायण , स्वस्थ एवं सर्वहितप्रद व्यक्ति और समाज की संरचना राजनीति और विकास की परिभाषा है , यह मानवतावादी दृष्टिकोण से सभी को स्वीकार होना चाहिये तथा इसे क्रियान्वित करना न्यायोचित होगा। भारत से पूर्व में पृथक हुये देशों में अस्थिरता पर उन्होनें कहा कि भारत से सम्बद्ध रहकर भारत की सांस्कृतिक विरासत के परिपालन से ही सुरक्षा सम्भव है। भारत हिन्दू राष्ट्र घोषित हो , पक्षपात विहीन , शोषण विहीन , मुक्त धर्म नियंत्रित शासन तंत्र की स्थापना हो। हिन्दू राष्ट्र की परिकल्पना से ही सम्पूर्ण मानवता की रक्षा सम्भव हो सकेगी , भारत के हिन्दू राष्ट्र घोषित होने पर बहुत से देश इसका अनुसरण करने को तत्पर है। हिन्दू राष्ट्र निर्माण सबकी सहभागिता आवश्यक है। दूसरे धर्मावलम्बी को भी महाराजश्री स्पष्ट रूप से संदेश देते हुये कहा – वे सहिष्णुता पूर्वक स्वीकार करें कि सबके पूर्वज सनातनी आर्य वैदिक हिन्दू ही हैं , ईसा मसीह और मोहम्मद साहब के पूर्वज भी हिन्दू थे। हमारे वेद शास्त्र पुराण का विश्व में कहीं भी खण्डन नही हो सकता। क्योंकि हमारा सनातन धर्म लगभग दो अरब वर्ष पूर्व हुई सृष्टि संरचना के समय से ही अस्तित्व है तथा विश्व में मौजूद सभी समस्याओं का समाधान वैदिक शास्त्र सम्मत सिद्धान्तों के अनुपालन से ही सम्भव हो सकेगा। पुरी शंकराचार्यजी ने बताया – वैदिक शास्त्रों में वर्णित है कि सच्चिदानन्द स्वरूप सर्वेश्वर के नाभिमण्डल से शब्द ब्रह्मात्मक ब्रह्मा जी प्रगट हुये , मनु और शतरुपा ब्रह्मा जी के लीलारूप हैं l पुराणों में वर्णित चौरासी लक्ष योनियों में जिसमें स्थावर , जङ्गम दोनों शामिल है सभी पुरूष शरीर मनु जी तथा स्त्री शरीर शतरूपा जी से ही उत्पन्न हैं। उन्होंने आगे कहा कि हमारे सिद्धान्त के अनुसार प्रत्येक अंश स्वभावतः अपने अंशी की ओर समाकृष्ट होता है जैसे जल स्वभावतः अपने अंशी महोदधि की ओर ही आकृष्ट रहता है। जीव ईश्वर के अंश सदृश है तथा इसी प्रकार ईश्वर जीव का अंशी सदृश मान्य है। सनातन सिद्धान्त की सर्वोत्कृष्टता के संबंध में दृष्टांत देते हुये शंकराचार्य जी ने कहा कि हमारे ईश्वर जगत बनाते और स्वयं बनते भी है इसलिये उनका साक्षात रामकृष्ण , राधामाधव के रूप में अवतार होता है जबकि अन्यों के ईश्वर सिर्फ जगत बनाते हैं स्वयं जगत बन नहीं सकते इसलिये उनका अवतार सम्भव नहीं।
गुरूवार को कटक में करेंगे धर्मसभा को संबोधित
गया में आयोजित सभी कार्यक्रमों की समाप्ति के पश्चात महाराजश्री बुधवार को पुरुषोत्तम एक्सप्रेस द्वारा अपने राष्ट्र रक्षा अभियान के अगले चरण के लिये प्रस्थान कर गुरूवार को कटक (उड़ीसा) पहुंचेंगे। यहां कल 20 मार्च गुरूवार को संध्याकालीन सत्र में साढ़े पांच बजे शंकराचार्यजी धर्मसभा आयोजित है , जबकि दूसरे दिन 21 मार्च को पूर्वान्ह साढ़े ग्यारह बजे से दर्शन , दीक्षा और संगोष्ठी का अवसर सुलभ रहेगा। महाराजश्री का कार्यक्रम यहां दधीचि कालेज आफ फार्मेसी परिसर में निर्धारित है। धर्मसंघ – पीठ परिषद , आदित्यवाहिनी – आनन्दवाहिनी संगठन ने सभी भक्तों एवं श्रद्धालुओं से उक्त अवसर पर पहुंचकर महाराजश्री का दर्शन , श्रवण करने की अपील की है। इसकी जानकारी श्रीसुदर्शन संस्थानम, पुरी शंकराचार्य आश्रम / मीडिया प्रभारी अरविन्द तिवारी ने दी।
